hanuman chalisa hindi for Dummies

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Moreover his physical prowess, Hanuman is revered for his wisdom and intelligence. He's considered to be a symbol of quick contemplating, trouble-fixing, and strategic scheduling. Lots of devotees search for his blessings to reinforce their psychological capabilities and to gain clarity inside their choice-earning procedures.

व्याख्या – श्री हनुमान जी कपिरूप में साक्षात् शिव के अवतार हैं, इसलिये यहाँ इन्हें कपीश कहा गया।

হনুমান চালিসা সকলের বিশ্বাসে প্রত্যাশা এবং সম্পদে সহায়তা করে বলে মনে করা হয়। এটি হানুমানের অনুগ্রহের কথা বলে মনে করা হয়। চালিসার পঠন করা মানে হল হানুমানের আশীর্বাদ প্রাপ্ত হওয়া। এটি হানুমানের ক্ষমতা ও শক্তির প্রতীক ও আশীর্বাদপূর্ণ বাণী বলা হয়। চালিসা একে বেশ কার্যকরী ও বিশিষ্ট মনে করা হয় এবং এটি বহু কাজে বিশেষ ভূমিকা পালন করে বলে বিশ্বাস করা হয়।



बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥



आप सुखनिधान हैं तथा सभी सुख आपकी कृपा से सुलभ हैं। यहाँ सभी सुख का तात्पर्य आत्यन्तिक सुख तथा परम सुख से है। परमात्म प्रभु की शरण में जाने पर सदैव के लिये दुःखों से छुटकारा मिल जाता है तथा शाश्वत शान्ति प्राप्त होती है।

व्याख्या— रुद्रावतार होने के कारण समस्त प्रकार की सिद्धियाँ एवं निधियाँ श्री हनुमान जी को जन्म से ही प्राप्त here थीं। उन सिद्धियों एवं निधियों को दूसरों को प्रदान करने की शक्ति माँ जानकी के आशीर्वाद से प्राप्त हुई।

మీ ఈమెయిలు చిరునామా ప్రచురించబడదు. తప్పనిసరి ఖాళీలు *‌తో గుర్తించబడ్డాయి

भावार्थ – आपकी इस महिमा को जान लेने के बाद कोई भी प्राणी किसी अन्य देवता को हृदय में धारण न करते हुए भी आपकी सेवा से ही जीवन का सभी सुख प्राप्त कर लेता है।

During the spiritual context, Hanuman symbolizes the human intellect, which when disciplined and focused, can complete remarkable feats and conquer demanding hurdles, just like the ‘destroyer of demons’.

व्याख्या – मनरूपी दर्पण में शब्द–स्पर्श–रूप–रस–गन्धरूपी विषयों की पाँच पतवाली जो काई (मैल) चढ़ी हुई है वह साधारण रज से साफ होने वाली नहीं है। अतः इसे स्वच्छ करने के लिये ‘श्रीगुरु चरन सरोज रज’ की आवश्यकता पड़ती है। साक्षात् भगवान् शंकर ही यहाँ गुरु–स्वरूप में वर्णित हैं–‘गुरुं शङ्कररूपिणम् ।‘ भगवान् शंकर की कृपा से ही रघुवर के सुयश का वर्णन करना सम्भव है।

చౌరాష్టకం (శ్రీ చౌరాగ్రగణ్య పురుషాష్టకం)

व्याख्या – गुरुदेव जैसे शिष्य की धृष्टता आदि का ध्यान नहीं रखते और उसके कल्याण में ही लगे रहते हैं [ जैसे काकभुशुण्डि के गुरु], उसी प्रकार आप भी मेरे ऊपर गुरुदेव की ही भाँति कृपा करें ‘प्रभु मेरे अवगुन चित न धरो।’

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